Friday, June 24, 2016

ANCIENT SYSTEM OF MEASUREMENT सनातन माप-तौल प्रणाली

ANCIENT SYSTEM OF MEASUREMENT
सनातन माप-तौल प्रणाली
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
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ॐ गं गणपतये नम:।
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि
[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
अक्षौहिणी :: अक्षौहिणी सेना में योद्धाओं और पशुओं की गिनती का प्राचीन माप है।
महाभारत के युद्ध में अठारह अक्षौहिणी सेना नष्ट हो गई थी। एक अक्षौहिणी सेना में 21,870 रथ, 21,870 हाथी, 65,610 घुड़सवार एवं 1,09,350 पैदल सैनिक होते थे।[महाभारत]
चतुरंगिणी सेना :: प्राचीन भारत में सेना के चार अँग होते थे :- हाथी, घोड़े, रथ और पैदल। जिस सेना में ये चारों अँग होते थे, वह चतुरंगिणी सेना कहलाती थी।
अक्षौहिणी सेना के चार विभाग :: (1). रथ (रथी), (2). गज (हाथी सवार), (3). घोड़े (घुड़सवार) और  सैनिक-पैदल सिपाही।  
इनका अनुपात :: रथ:गज:घुड़सवार:पैदल सनिक :: 1:1:3:5
इसके प्रत्येक भाग की सँख्या के अँकों का कुल जमा 18 आता है। एक घोडे पर एक सवार बैठा होगा, हाथी पर कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है, एक फीलवान और दूसरा लडने वाला योद्धा, इसी प्रकार एक रथ में दो मनुष्य और चार घोड़े।   
महाभारत युद्ध की सेना के मनुष्यों की सँख्या कम से कम 46,81,920, घोड़ों की सँख्या 27,15,620 और इसी अनुपात में गजों की सँख्या थी।
एक अक्षौहिणी सेना नौ भाग ::
पत्ति :: 1 गज + 1 रथ + 3 घोड़े + 5 पैदल सिपाही। 
सेनामुख :: (3 x पत्ति) = 3 गज + 3 रथ + 9 घोड़े + 15 पैदल सिपाही। 
गुल्म :: (3 x सेनामुख) = 9 गज + 9 रथ + 27 घोड़े + 45 पैदल सिपाही। 
गण :: (3 x गुल्म) = 27 गज + 27 रथ + 81 घोड़े + 135 पैदल सिपाही। 
वाहिनी :: (3 x गण) = 81 गज + 81 रथ + 243 घोड़े + 405 पैदल सिपाही। 
पृतना :- (3 x वाहिनी) = 243 गज + 243 रथ + 729 घोड़े + 1,215 पैदल सिपाही। 
चमू :: (3 x पृतना) = 729 गज + 729 रथ + 2,187 घोड़े + 3,645 पैदल सिपाही। 
अनीकिनी :: (3 x चमू) = 2,187 गज + 2,187 रथ + 6,561 घोड़े + 10,935 पैदल सिपाही। 
अक्षौहिणी :: (10 x अनीकिनी) = 21,870 गज + 21,870 रथ + 65,610 घोड़े + 1,09,350 पैदल सिपाही। 
एक अक्षौहिणी सेना :: गज = 21870, रथ = 21870, घुड़सवार = 65610, पैदल सिपाही = 109350. 
इसमें चारों अंगों के 21,8700 सैनिक बराबर-बराबर बँटे हुए होते थे। प्रत्येक इकाई का एक प्रमुख होता था।
पत्ती, सेनामुख, गुल्म तथा गण के नायक अर्धरथी हुआ करते थे।
वाहिनी, पृतना, चमु और अनीकिनी के नायक रथी हुआ करते थे।
एक अक्षौहिणी सेना का नायक अतिरथी होता था।
एक से अधिक अक्षौहिणी सेना का नायक सामान्यतः एक महारथी हुआ करता था।
पाण्डवों की सेना ::7 अक्षौहिणी। 
1,53,090 रथ, 1,53,090 गज, 4,59,270 अश्व, 7,65,270 पैदल सैनिक। 
कौरवों की सेना :: 11 अक्षौहिणी। 
2,40,570 रथ, 240570 गज, 7,21,710 घोड़े, 12,02,850 पैदल सैनिक। 
अक्षौहिणी हि सेना सा तदा यौधिष्ठिरं बलम्।
प्रविश्यान्तर्दधे राजन्सागरं कुनदी यथा॥
महाभारत के युद्घ में अठारह अक्षौहिणी सेना नष्ट हो गई थी।
अक्षौहिण्या: परीमाणं नराश्वरथदन्तिनाम्।
यथावच्चैव नो ब्रूहि सर्व हि विदितं तव॥ 
सौतिरूवाच :- अक्षौहिणी सेना में कितने पैदल, घोड़े, रथ और हाथी होते है? इसका हमें यथार्थ वर्णन सुनाइये, क्योंकि आपको सब कुछ ज्ञात है।[महाभारत आदिपर्व और सभापर्व] 
उग्रश्रवा जी ने कहा :- एक रथ, एक हाथी, पाँच पैदल सैनिक और तीन घोड़े। बस, इन्हीं को सेना के मर्मज्ञ विद्वानों ने पत्ति कहा है।
एको रथो गजश्चैको नरा: पंच पदातय:।
त्रयश्च तुरगास्तज्झै: पत्तिरित्यभिधीयते॥
इस पत्ति की तिगुनी सँख्या को विद्वान पुरुष सेनामुख कहते हैं। तीन सेनामुखों को एक गुल्म कहा जाता है। 
पत्तिं तु त्रिगुणामेतामाहु: सेनामुखं बुधा:।
त्रीणि सेनामुखान्येको गुल्म इत्यभिधीयते॥
तीन गुल्म का एक गण होता है, तीन गण की एक वाहिनी होती है और तीन वाहिनियों को सेना का रहस्य जानने वाले विद्वानों ने पृतना कहा है।
त्रयो गुल्मा गणो नाम वाहिनी तु गणास्त्रय:।
स्मृतास्तिस्त्रस्तु वाहिन्य: पृतनेति विचक्षणै:॥
तीन पृतना की एक चमू, तीन चमू की एक अनीकिनी और दस अनीकिनी की एक अक्षौहिणी होती है। यह विद्वानों का कथन है।
चमूस्तु पृतनास्तिस्त्रस्तिस्त्रश्चम्वस्त्वनीकिनी।
अनीकिनीं दशगुणां प्राहुरक्षौहिणीं बुधा:॥
श्रेष्ठ ब्राह्मणो! गणित के तत्त्वज्ञ विद्वानों ने एक अक्षौहिणी सेना में रथों की सँख्या इक्कीस हजार आठ सौ सत्तर (21,870) बतलायी है। हाथियों की सँख्या भी इतनी ही कहनी चाहिये।
अक्षौहिण्या: प्रसंख्याता रथानां द्विजसत्तमा:।
संख्या गणिततत्त्वज्ञै: सहस्त्राण्येकविंशति:॥
शतान्युपरि चैवाष्टौ तथा भूयश्च सप्तति:।
गजानां च परीमाणमेतदेव विनिर्दिशेत्॥
निष्पाप ब्राह्मणो! एक अक्षौहिणी में पैदल मनुष्यों की सँख्या एक लाख नौ हजार तीन सौ पचास (1,09,350) जाननी चाहिये।
ज्ञेयं शतसहस्त्रं तु सहस्त्राणि नवैव तु।
नराणामपि पंचाशच्छतानि त्रीणि चानघा:॥
एक अक्षौहिणी सेना में घोड़ों की ठीक-ठीक सँख्या पैंसठ हजार छ: सौ दस (65,610) कही गयी है।
पंचषष्टिसहस्त्राणि तथाश्वानां शतानि च।
दशोत्तराणि षट् प्राहुर्यथावदिह संख्यया॥
तपोधनो! सँख्या का तत्त्व जानने वाले विद्वानों ने इसी को अक्षौहिणी कहा है, जिसे मैंने आप लोगों को विस्तारपूर्वक बताया है।
एतामक्षौहिणीं प्राहु: संख्यातत्त्वविदो जना:।
यां व: कथितवानस्मि विस्तरेण तपोधना:॥
श्रेष्ठ ब्राह्मणो! इसी गणना के अनुसार कौरवों-पाण्डवों दोनों सेनाओं की संख्या अठारह अक्षौहिणी थी।
एतया संख्यया ह्यासन् कुरुपाण्डवसेनयो:।
अक्षौहिण्यो द्विजश्रेष्ठा: पिण्डिताष्टादशैव तु॥
अद्भुत कर्म करने वाले काल की प्रेरणा से समन्तपंचक क्षेत्र में कौरवों को निमित्त बनाकर इतनी सेनाएँ इकट्ठी हुई और वहीं नाश को प्राप्त हो गयीं।
समेतास्तत्र वै देशे तत्रैव निधनं गता:।
कौरवान् कारणं कृत्वा कालेनाद्भुतकर्मणा॥
त्रसरेणु ::
जालान्तरगते भानौ यत्सूक्ष्मं दृश्यते रजः। 
प्रथमंतत् प्रमाणानां त्रसरेणुं प्रचक्षते[मनु स्मृति 8.132]
जाली के झरोखे के भीतर पड़ने वाली सूर्य की किरणों में जो छोटे-छोटे धूलिकण दिखाई देते हैं, वैसे एक धूलि कण का मान परिमाण में प्रथम है और उसे त्रसरेणु कहते हैं।
त्रसरेणवोऽष्टौ विज्ञेया लिक्षैका परिमाणतः। 
ता राजसर्षपस्तिस्रस्ते त्रयो गौरसर्षपः[मनु स्मृति 8.133]
परिमाण में आठ त्रसरेणुओं की एक लिक्षा, उन तीन लिक्षाओं का एक राजसर्षप और तीन राजसर्षप का एक गौर सर्षप होता है। 
As per quantity (quantum) 8 Trasrenu constitutes one Liksha (the egg of a louse, सिर में पड़ीं लीख), three Liksha are equal to one Raj Sarpan (काली सरसों का दाना, black mustard) and three Raj Sarpan make one Gour Sarpan (सफ़ेद सरसों का दाना-बीज) white mustard-seed).
1 Liksha = 8 Trasrenu,
1 Raj Sarpan = 3 Liksha,
1 Gour Sarpan = 3 Raj Sarpan.
अनन्त काल से भारत और हिन्दुधर्म में प्रचलित माप की प्रणालियाँ :: अनुपात की दृष्टि से इनका पारस्परिक सम्बन्ध मूल सँख्या निम्न प्रकार से 16 से है :- 
 1, 2, 4, 8, 16, 32, 64, 160, 320, 1600, 3200, 8000 और 12800। 
मैट्रिक प्रणाली में इन बाटों की सबसे छोटी इकाई 0.256 ग्राम हो सकती है। 
1 लिक्षा = 8 त्रिसरेणु (Trisrenu), 
1 राजसर्षप = 3 लिक्षा,
1 गौर सर्षप = 4 राजसर्षप,
1 यवमध्य = 2 गौर सर्षप,
1 कृष्णल = 3 यवमध्य,
1 सुवर्णमाष = 5 कृष्णल,
1 सुवर्ण = 16 सुवर्णमाष,
1 पल = 4 सुवर्ण = 4 कर्ष,  1 कर्ष = 80 रत्ती,
1 धरण = 10 पल, 
चाँदी के लिये एक भिन्न मान भी था, जिसका विवरण इस प्रकार है:
1 रौप्यमाष = 2 कृष्णल,
1 धरण = 16 रौप्यमाष,
1 Liksha = 8 particles,
1 Yuk (louse, medium sized)) = 8 Liksha, 
1 Yuv (barley, middle sized) = 8 Yuk 
1 Angul  (¾ of an English inch) = 1 Middle finger or middle most joint,  (middle sized man) = 8 Yuv
1 Dhanur Grah =  4 Angul,  
1 Dhanur Mushti (fist holding bow)= 8 Angul,
1 Vitsti = 12 Angul,  
1 Chhaya Purush =14 Angul, 
1 Sam, Sal, Pariray or Pad = 14 Angul, 
1 Artani, Prajapty Hast = 2 Vitsati,
1 Hast = 1 Dhanur Angul + 2 Vitsati,
They are  used in measuring balances and cubic measures, equal to and pasture lands. 
Kishku is used by sawyers and blacksmiths.
1 Kam, Kishku = 2 Vitsti + 2 Dhanur Mushti = 42 Angul, is  used in measuring the grounds for the encampment of the army, forts and palaces. 
1 Hast = 54 Angul, is used in measuring timber forests.
1 Vyam = 84 Angul, is used in measuring ropes and the depth of digging.
1 Dand = 4 Artni, is used in terms of a man's height, 
1 Dhanus, 1 Nalika, 1 Paurush =108 Angul, 
1 Grahpati  Dhanus =108 Angul, is used by carpenters. Its used in measuring roads and fort-walls, building sacrificial altars.
1 Dand = 6 Kam = 192 Angul is used in measuring such lands as are gifted to Brahmns.
1 Rajju =10 Dand,
1 Pridesh (square measure) = 2 Rajju,
1 Niv Ratan (square measure) = 3 Rajju.
1 Bahu (Arm) = 3 Rajju + 2 Dand 
1 Gorut (sound of a cow) = 1000 dhanus, 1 Yojan = 4 Gorut, 
Thus are the lineal and square measures. 
KAUTILY ARTH SHASTR (2.19) bhartiyshiksha.blogspot.com
WEIGHT :: 1 Bhar =20 Tula, 1 Pal = 10 Dharan, 1 Aymani = 100 Pal. 1 Vari = 16 Dron, 1 Kumbh = 20 Vari, 1 Vaha = 10 Kumbh. 
LENGTH :: The term is used to describe time as well. Another smaller unit is Trisrenu.
Atoms (Parmanu-Paramanavah) are smallest particles of dust which flow in the air when the chariot run over a dusty road. These particles are visible when the Sun light enters house-a dark corner through a crevices.
1 Liksha = 8 particles,
1 Yuk (louse, medium sized)) = 8 Liksha, 
1 Yuv (barley, middle sized) = 8 Yuk 
1 Angul  (¾ of an English inch) = 1 Middle finger or middle most joint,  (middle sized man) = 8 Yuv
1 Dhanur Grah =  4 Angul,  
1 Dhanur Mushti (fist holding bow)= 8 Angul,
1 Vitsti = 12 Angul,  
1 Chhaya Purush =14 Angul, 
1 Sam, Sal, Pariray or Pad = 14 Angul, 
[A bow means five Aratnis (5 x 54 = 120 Angul]
1 Artani, Prajapty Hast = 2 Vitsati,
1 Hast = 1 Dhanur Angul + 2 Vitsati,
एक धनुष = चार हाथ 
They are  used in measuring balances and cubic measures, equal to and pasture lands. 
Kishku is used by sawyers and blacksmiths.
1 Kam, Kishku = 2 Vitsti + 2 Dhanur Mushti = 42 Angul, is  used in measuring the grounds for the encampment of the army, forts and palaces. 
1 Hast = 54 Angul, is used in measuring timber forests.
1 Vyam = 84 Angul, is used in measuring ropes and the depth of digging.
1 Dand = 4 Artni, is used in terms of a man's height, 
1 Dhanus, 1 Nalika, 1 Paurush =108 Angul, 
1 Grahpati  Dhanus =108 Angul, is used by carpenters. Its used in measuring roads and fort-walls, building sacrificial altars.
1 Dand = 6 Kam = 192 Angul is used in measuring such lands as are gifted to Brahmns.
1 Rajju =10 Dand,
1 Pridesh (square measure) = 2 Rajju,
1 Niv Ratan (square measure) = 3 Rajju.
1 Bahu (Arm) = 3 Rajju + 2 Dand 
1 Gorut (sound of a cow) = 1,000 dhanus, 1 Yojan = 4 Gorut, 
Thus are the lineal and square measures. 
1 प्रसृति = 2 पल, 
1 कुड़व = 2 प्रसृति, 
1 प्रस्थ = 4 कुड़व 
4 प्रस्थ = 1 आढ़क, 
1 द्रोण = 4 आढ़क, 
1 खारी = 16 द्रोण =  4 मन,
1 कुंभ =20 द्रोण = 5 मन,
1 वट्ट = 10 कुंभ = 50 मन, 
हीरों की तौल :- 
1 वज्रधारण = 20 तंड्डल, 
भूमि मापन :-
1 रथरेणु = 8 परमाणु, 
1 लिक्षा = 8 रथरेणु,
1 यूकामध्य = 8 लिक्षा,
1 यवमध्य = 8 यूकामध्य, 
1 अंगुल = 8 यवमध्य,
1 धनुर्ग्रह =4 अंगुल,
1धनुर्मुष्टि = 8 अंगुल,
1 वितास्ति = 1 छायापुरुष = 12 अंगुल, 
1 शम = 1शल =1 परिरथ =1 पद = 16 अंगुल,
1 अररत्नि = 1 प्राजापत्य हस्त = 2 वितास्ति = 24  अंगुल,
1 दंड = 192 अंगुल,
1 रज्जु = 10 दंड, 
1 परिदेश = 2 रज्जु, 
1 निवर्तन = 3 रज्जु, 
1 गोरुत = 1,000 धनुष
1 योजन =4 गोरुत, 
1 पाली = 4 पावला,
1 मड़ा (माना) = 4 पाली,
1 सेई = 4  मड़ा, 
1 पदक = 12 मड़ा,
1 हारी= 4 पदक,
1 मानी = 4 हारी.
 8 रत्ती  = 1 माशा; 12 माशा = 1 तोला, 5 तोला = 1 छटाँक; 4 छटाँक = 1 पाव, 4 पाव अथवा 16 छटाँक = 1 सेर; 40  सेर = 1 मन। भारत में 1959-60 तक गोविन्द बल्लभ पंत द्वारा मैट्रिक-फ्रेंच प्रणाली लागु करने तक यही पद्धति लागु थी। 

सर्षपाः षड् यवो मध्यस्त्रियवं त्वेककृष्णलम्। 
पञ्चकृष्णलको माषस्ते सुवर्णस्तु षोडश[मनु स्मृति 8.134]
छः सर्षपों का एक मझोला यव-जो, वैसे तीन यवों की एक रत्ती और पाँच रत्तियों का माँसा तथा 16 माँसे का एक सुवर्ण (तोला) होता है। 
1 Middle sized barley = 6 Sarpan, 1 Ratti = 3 barley, 1 Mansa = 5 Ratti, 1 Tola (Suvarn) = 16 Mansa.
Six grains of Sarpan are equal to one middle sized barley and three barley are equal to one Krashnal (Raktika or Gung berry); five Krashnal are equal to one Mansa (bean) and sixteen of those are equal to one Suvarn.
पलं सुवर्णाश्चत्वारः पलानि धरणं दश। 
द्वे कृष्णले समधृते विज्ञेयो रौप्यमाषकः[मनु स्मृति 8.135]
चार सुवर्ण का एक पल, दस पल का एक धारण और वजन में दो रत्ती भर चाँदी का एक रौप्य माषक जानना चाहिये। 
1 Pal = 4 Suvarn, 1 Dharan = 10 Pal, 1 Roupy (Mashak) = 2 Ratti of Silver.
Four Suvarn makes one Pal, ten Pal make one Dharan, two Ratti of silver make one Roupy.
ते षोडश स्याद्धरणं पुराणश्चैव राजतः। 
कार्षापणस्तु विज्ञेयस्ताम्रिकः कार्षिकः पणः[मनु स्मृति 8.136]
सोलह रौप्य माशकों का एक धरण अर्थात रौप्य होता है। एक वर्षभार ताँबे को कार्षापण या पण कहते हैं। 
1 Dharan = 16 Roupy Mashak = 1 Roupy. 1 Varh Bhar of Copper = 1 Karshapan =1 Pan.
Sixteen Roupy Mashak constitute one Dharan or Roupy. One Varsh Bhar is equal to one Karshapan or just one Pan.
ताम्र कार्षापण 80 गुंजे या रत्ती के बराबर भार वाला होता था। Cash is derived from Karsh कार्ष in Sanskrat..
धरणानि दश ज्ञेयः शतमानस्तु राजतः। 
चतुःसौवर्णिको निष्को विज्ञेयस्तु प्रमाणतः[मनु स्मृति 8.137]
दस रौप्य धरण का एक रजत शतमान और 4  सुवर्ण का एक निष्क होता है। 
1 Rajat Shatman = 10 Roupy Dharan, 1 Nishk = 4 Suvarn.
10 Roupy Dharan were equal to one silver Shatman and 4 Gold coins were equal to one Nishk by weight.
पणानां द्वे शते सार्धे प्रथमः साहसः स्मृतः।
मध्यमः पञ्च विज्ञेयः सहस्रं त्वेव चोत्तमः[मनु स्मृति 8.138]
ढाई सौ पण का प्रथम साहस, पाँच सौ पण का मध्यम साहस और एक हजार पण का उत्तम साहस होता है। 
Pratham Sahas = 250 Pan, Madhyam Sahas = 500 Pan, Uttam Sahas = 1,000 pan.
The base (first or lowest coin) constituted of 250 Pan. The average or middle ranking coin was valued at 500 Pan and the highest ranking coin was valued at 1,000 pan.
The minutest dust particle visible in the Sun light appearing out of the crevices of the window is called Trasrenu and is used as the smallest unit of measurement of mass.
TRADITIONAL INDIAN WEIGHTS & MEASURES  प्राचीन भारतीय माप-तौल ::
8 खसखस = 1 चावल,
14 धान = 8 चावल = 1 रत्ती,
8 रत्ती = 1 माशा,
4 माशा =1 टंक, 
12 माशा = 1 तोला,
5 तोला = 1 छटांक,
4 छटांक = 20 तोला या 1 पाव,
8 छटांक या 40 तोला = 1 अधसेरा,
16 छटांक या 80 तोला = 1 सेर,
5 सेर = 1 पसेरी,
8 पसेरी = 40 सेर या 1 मन,
1 किलो ग्राम = 86 तोला या 1 सेर 6/5 छटांक,
100 किलो ग्राम = 1 क्विंटल या 2 मन 27 5/2 सेर।
अष्टमुष्टिर्भवेत किञ्चित् किंचिदष्टा च पुष्कलम्। 
पुष्कलानि तु चत्वारि आढक: परिकीर्तितः। चतुराढको भवेद् द्रोण...। 
आठ मुट्ठी का एक किंचित, आठ किंचित का एक पुष्कल, चार पुष्कल का एक आढ़क और चार आढ़क का एक द्रोण होता है। 
कुल KUL ::
अष्टागवं धर्महलं षड्गवं जीवितार्थिनाम्। 
चतुर्गवं गृहस्थानां त्रिगवं ब्रह्मघातिनाम्॥   
छः बैलों का एक मध्यम हल होता है। ऐसे दो हलों से जितनी भूमि जोति जाये उसे कुल कहते हैं।
The land ploughed-cultivated by 6 bullocks with two ploughs by a farmer in ancient villages.
1 Yojan 12.3 km in SI units.
A Yojan (योजन) is a Vedic measure of distance that was used in ancient India & is about 12–15 km. (i.e. 4 Kosh = 1 Yojan and 1 Kosh is 2-3.5 km), 1 Mile = 1.6 km. One Yojan is about 11.5 km (8 to 9 miles) though its magnitude seems to differ over time periods. i.e., the Earth’s circumference is 3,200 Yojan as per Varah Mihir & 5,026.5 Yojan as per Sury Siddhant.
MEASURE COMPARABLE TO ANCIENT SYSTEMNOTES
10 Parmanu
1 Par Sukshm-small (micro)
Parmanu means  atom
10 Par Sukshm
1 Tras Renu
10 Tras Renu
1 Mahí Raj (particle of dust)
10 Mahí Raj
1 Balagr (hair’s point)
10 Balagr
1 Likhsh
10 Likhsh
1 Yuk
10 Yuk
1 Yavodar (heart of barley)
10 Yavodar
1 Yav (barley grain of middle size)
10 Yav
1 Angul
1.89 cm or approx 3/4 inch, angul nearly 3/4 of an inch
6 fingers
1 Pad (the breadth of it)
2 Pad
1 Vitasti (span)
2 Vitasti
1 Hast (cubit)
4 Hast
Dhanu
1 Dand
2 Narik  equals 6 feet (1.8 m)
Purus (a man’s height)
2000 Dhanus
1 Gav Yuti (distance to which a cow’s call or lowing can be heard)
12,000 feet (3.7 km)
4 Gav Yuti
1 Yojan
9.09 miles or 14.63 km

MEASUREMENT OF TIME :: 
1 Lav =2 Truti,
1 Nimesh = 2 Lav,
1 Kashtha = 5 Nimesh, 
1 Kala = 30 Kashtha, 
One Nalika is equal to the time period during which one Adhak of water passes 40 Kala out of a pot through an aperture of the same diameter as that of a wire of 4 Angul in length and made of 4 Masha of gold. 
1 Muhurt = 2 Nalika, 
1 day or 1 night =15 Muhurt of the months of Chaetr and Asouj (आश्विन, असोज, is the seventh month of the luni-solar Hindu calendar, the Vikram Samvat). Then after the period of six months it increases or diminishes by three Muhurt.
When the length of shadow is eight Paurush (96 Angul), it is 1/18th part of the day.
When it is 6 Paurush (72 Angul), it is 1/14th part of the day; when 4 Paurush, 1/8th part; when 2 Paurush, 1/6th part; when 1 Paurush, ¼th part; when it is 8 Angul, 3/10th part (Trayodas Bhag); when 4 Angul, 3/8th part; and when no shadow is cast, it is to be considered midday.
Likewise when the day declines, the same process in reverse order shall be observed.
It is in the month of Asadh that no shadow is cast in midday. After Asadh, during the six months from Shravan-Sawan, upwards, the length of shadow successively increases by two Angul and during the next six months from Magh upwards, it successively decreases by two Angul. 
1 Paksh = Fifteen days and nights together, 
Paksh is the period of waxing-increase is size and Lunar intensity, brightness & waning-diminishing, decreasing, reduction in the visible segment of Moon,  of moon waxes is bright phase Shukl Paksh and that Paksh during which the moon wanes is Krashn Paksh Bahul Paksh. Two Paksh together make one month (Mas). Thirty days and nights together make one work-a-month. The same (30 days and nights) with an additional half a day makes one solar month.
The same (30) less by half a day makes one lunar month (Chandr Mas). Twenty-seven (days and nights) make a sidereal month (Nakshtr Mas). Once in thirty-two months there comes one Mal Mas (Adhik, Purushottom Mas) profane month, i.e., an extra month added to lunar year to harmonise it with the solar. Once in thirty-five months there comes a Mal Mas for Ashw Vah.
Once in forty months there comes a Mal Mas for Hasti Vah.
Two months make one Ritu (season). Shravan and Bhadoun-Prashth Pad make the rainy season. Asouj and Kartik make the autumn. Marg Shish and Poush make the winter (Hemant). Magh and Phalgun make the dewy season (Shishir). Chaetr and Vaeshakh  make the spring (Vasant)). Jyeshth and Ashadh make the summer (Grishm). Seasons from Shishir and upwards are the summer-solstice (Uttrayan) and (those) from Varsha and upwards are the winter solstice (Dakshinayan). Two solstices (Ayan) make one year (Samvatsar). Five years make one Yuti. The Sun carries off  1/60th of a whole day every day and thus makes one complete day in every two months. Likewise the moon (falls behind by 1/60th of a whole day every day and falls behind one day in every two months). Thus in the middle of every third year, they (the Sun and the Moon) make one Adhi Mas, additional month, first in the summer season and second at the end of five years.
ANCIENT SYSTEM OF COUNTING IN INDIA वैदिक-सनातन, भारतीय सँख्या पद्धति :: इकाई, दहाई, सैंकड़ा, हज़ार, दस हज़ार, लाख, दस लाख, अरब, दस अरब, खरब दस खरब, नील (1013), दस नील, पद्म (1015), दस पदम, महा पदम, शंख (1017), महा शंख (1019), अन्त्या, मध्या, पारध, धून, अक्षोहिणी, महा अक्षोहिणी। अंक उपाध्याय (1021), जल्द (1023), माध (1025), अंंत (1029), महाअंत (1031), शिष्ट (1033), सिंघर (1035), अदंत सिंघर (1041).

हिन्दी-HINDI
FIGURES
INDEX-POWERS OF TEN 
 ENGLISH
इकाई-एक-Ek 
 1
 100
 One
 दहाई-दस-Das
 10
 101
 Ten, Scientific (SI Prefix): Deca.
 सैंकड़ा, सौ, शत, Sou
 100
  102
 Hundred, SI Prefix: Hecto.
 हजार-सहस्र, Sahastr-Hajar
 1,000
 103
 Thousand
 दस हजार-अयुत, Ayut-Das Hajar
 10,000
 104
 Ten Thousand
 लाख-लक्ष, Lakh
 1,00,000
 105
 Hundred Thousand
 दस लाख-नियुत, Niyut-Das Lakh.
 10,00,000
106
 Million, SI Prefix: Mega.
 करोड़, कोटी, Koti-Kror (Crore)
 1,00,00,000
107
 Ten Million
 दस करोड़ Das Kror
 10,00,00,000
108
 Hundred Million
 अरब Arab
 1,00,00,00,000
109
 Billion
 दस अरब Das Arab
 10,00,00,00,000
1010
 Ten Billion
खरब, Kharab.

1011
 Hundred Billion
दस खरब, Das Kharab.
(शंकु, Shanku)
1,00,000 Koti
1012
 Trillion, Quintilian, 
SI Prefix: Exa.
महा शंकु, Maha Shanku. 1,00,000 Shanku.
1017
One Hundred Quadrillion
वृन्द, Vrand.1,00,000 Maha Shanku.
1022
Ten Sextillion
महावृन्द, Maha Vrand.
परार्ध 
1,00,000 Vrand.
1027
One Octillion
पद्म, Padm.
1,00,000 Maha Vrand.
1032
One Hundred Nonillion
महापद्म, महा सिंघर
Maha Padm.
1,00,000 Padm.
1037
Ten Undecillion
खर्व, Kharv.
1,00,000 Maha-Padm.
1042
One Tredecillion
महाखर्व, Maha Kharv.
1,00,000 Kharv.
1047
One Hundred Quattuordecillion
समुद्र, Samudr.
1,00,000 Maha Kharv.
1052
Ten Sexdecillion
ओघ, Ogh.
1,00,000 Samudr.
1057
One Octodecillion
 महौघ, Mahaugh.

1,00,000 Ogh.
1062
One hundred Novemdecillion 
Indian System Vs British System Metric System ::
1 Tola  ≈ 0.375 t oz 11.66375 g
1 Ser (80 Tola) 2.5 t lb ≈ 2.057 lb ≈ 2 lb 1 oz 0.93310 kg
1 Maund (40 Ser) 100 troy lb 37.324 kg
Indian System Vs Metric System ::
1 Tola = 11.664 g
1 Ser (80 Tola) = 933.10 g

1 Maund (40 Ser) = 37.324 kg
CURRENCY :: 
निष्क एक सोने का सिक्का जिसकी तौल 1 कर्ष या 16 माशा।
1 निष्क = 16 द्रम्य, 1 द्रम्य = 16 पण, 1 पण = 4 काकिणी, 1 काकिणी = 20 कौड़ी बतायी हैं। 1 निष्क = 20,480 कौड़ियाँ तथा 1 निष्क = 256 पण।[भास्कराचार्य-लीलावती] पहले कौड़ियाँ सबसे छोटे सिक्के की तरह प्रयुक्त होती थीं।
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संतोष महादेव-सिद्ध व्यास पीठ, बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा