Friday, June 24, 2016

XXX ॠ RI ri

ॠ RI, ri
 CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM 
By :: Pt. Santosh  Bhardwaj  
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ॐ गं गणपतये नम:।
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
ऋक् :: ऋचा, स्तुति, पूजा; Blood.
ऋत :: शीलोञ्छ वृत्ति से प्राप्त अन्न; food grains collected from the harvested crop fields left over by the farmers.
सही तरीके से जुड़ा हुआ, सत्य, सही या सुव्यवस्थित, सनातन प्राकृतिक व्यवस्था और संतुलन का वह तत्व जो पूरे संसार और ब्रह्माण्ड को संतुलन प्रदान करे। ऋत शब्द का प्रयोग सृष्टि के सर्वमान्य नियम के लिए हुआ है। संसार के सभी पदार्थ परिवर्तन शील हैं, किंतु परिवर्तन का नियम अपरिवर्तनीय नियम के कारण सूर्य-चंद्र गतिशील हैं। ऋग्वेद (4.21.3) में मरुत् को ऋत से उद्भूत माना है। 
भगवान् श्री हरी विष्णु को ऋत का गर्भ माना गया है। द्यौ और पृथ्वी ऋत पर स्थित हैं। [ऋग्वेद 10. 121.1]
ऋत के अर्थ में आचरण संबंधी नियमों का समावेश भी है। उषा और सूर्य को ऋत का पालन करनेवाला कहा गया है। ऋत के नियम का उल्लंघन करना असंभव है। वरुण, जो पहले भौतिक नियमों के रक्षक कहे जाते थे, बाद में ऋत के रक्षक (ऋतस्य गोपा) के रूप में ऋग्वेद में प्रशंसित हैं। देवताओं से प्रार्थना की जाती है कि वे मनुष्यों को ऋत के मार्ग पर ले चलें तथा अनृत के मार्ग से दूर रखें।[ऋग्वेद 10.133.6]
ऋत को वेद में सत्य से पृथक् माना गया है। ऋत वस्तुत: सत्य का नियम है। अत: ऋत के माध्यम से सत्य की प्राप्ति स्वीकृत की गई है। यह ऋत तत्व वेदों की दार्शनिक भावना का मूल रूप है। परवर्ती साहित्य में ऋत का स्थान संभवत: धर्म ने ले लिया।
ऋषि ऋण :: भगवान् शिव और ज्ञान से जुड़ा है, ऋषि ऋण। ब्रह्मचर्य के पालन से ऋषि ऋण से छुटकारा मिलता है। ब्रह्मचर्य का अर्थ है किसी भी प्रकार का सम्भोग  न करना। जातक  को सभी इन्द्रियों का संयम करना और आस्तिकता को अपनाना है। इस ऋण को चुकाने के लिए व्‍यक्‍ति को विद्याध्ययन, वेद, उपनिषद्, शास्त्र और गीता का अध्ययन करना चाहिये। बुरे व्‍यसनों से दूर रहें। अपने मन और शरीर को स्‍वच्‍छ रखें। माथे पर घी या चंदन का तिलक लगाएँ।
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