Friday, June 24, 2016

XXX क्ष, KSH, ksh

क्ष, KSH, ksh
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
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ॐ गं गणपतये नम:।
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
Photo:क्षर-च्युत-नश्वर-लौकिक (Perishable) :: च्युत, नश्वर, लौकिकक्षर को जन्म, वृद्धि, अस्तित्व, प्रजनन, क्षय तथा विनाश के परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है। क्षुद्र चींटी से लेकर ब्रह्मा जी तक जो भी जीव भौतिक प्रकृति के संसर्ग में आता है, वो नाशवान है। प्रत्यक्ष दिखने वाले शरीरादि पदार्थ जड़, नाशवान, लौकिक अर्थात क्षर हैं। जगत और जीव दोनों ही लौकिक हैं। कर्मयोग और ज्ञानयोग भी लौकिक हैं। अपरा प्रकृति को क्षर कहते हैं। One who comes in contact with the worldly entities from an ant to Brahma Ji-the creator, is perishable. The perishable has to pass through 6 phases: Birth, growth, existence, regeneration, decay and destruction. Everything which is visible, inertial, perishable, worldly is Kshar. The world and the living being both are perishable. Karm Yog and Gyan Yog, both are perishable.  The 3 types of bodies acquired by the soul are perishable. The nature which leads to creation is Para and is perishable. 
क्षमा :: अकारण अपराध करने पर शक्ति, सामर्थ होते हुए भी दण्ड न देना, क्षमा है, दक्ष प्रजापति की कन्या;  Kshama-pardon is that ability which forbids one from punishing the guilty in spite of strength-power-capability, daughter of Daksh Praja Pati. 
क्षत्ता जाति :: क्षत्रिय की कन्या से शूद्र द्वारा उत्पन्न हुए लड़के क्षत्ता और वर्णसंकर होते हैं; The son born out of a Kshatriy woman by a Shudr is called Kshatta and is a Varn Sankar i.e., hybrid.
क्षिप्रकारी :: शीघ्र काम करने वाला; one who acts quickly-swiftly, fast to accomplish the job.
क्षेम :: कुशल-मंगल, सुख-चैन, ख़ैरियत, Safety, well-being.
क्षेत्रज्ञ :: 
योऽस्यात्मनः कारयिता तं क्षेत्रज्ञं प्रचक्षते।
यः करोति तु कर्माणि स भूतात्मोच्यते बुधैः
जो व्यक्ति शरीर का ज्ञाता है, उसे क्षेत्रज्ञ कहते हैं और जो कर्मों को करता है, उसको पण्डित लोग भूतात्मा कहते है।[मनु स्मृति 12.12] 
One who aware of his body and makes it perform deeds is called Kshetragy and the one who perform deeds is termed Bhutatma.
क्षोभ :: अफ़सोस; agitation.
क्षणं :- एक दूसरे
क्षणप्रभा :- विद्युत, बिजली
क्षण वियोग :- क्षणिक जुदाई
क्षण वीक्षित :- उचटती नज़र से देखना। 
क्षौर कर्म  :: केश, दाढ़ी-मूँछ और नखों को कतर कर देह को सजाना क्षौरकर्म के अंतर्गत आता है। व्रत के लिए इसका विधान है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार व्रत, उपासना, श्राद्ध आदि में जो क्षौरकर्म नहीं करता, वह अपवित्र बना रहता है।
भोजन के उपरांत क्षौर का निषेध है, पर व्रत और तीर्थ में यह निषेध नहीं माना जाता।
ऐसा मानते हैं कि रविवार को क्षौर कर्म दुःखदायी, सोमवार को सुख, मङ्गल को मृत्यु, बुध को  धन, बृहस्पति को मान हनन, शुक्र को शुक्राणुओं का क्षय, शनिवार को समस्त दोष उत्पन्न करता है।

    
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क्षत्रिय --- प्रधानों और योद्धाओं की जाति
क्षत्रियबलं --- या क्षत्रियों या राजाओं की शक्ति हो सकता है
क्षत्रियस्य --- ksatriya की
क्षत्रियाः --- शाही आदेश के सदस्य
क्षन्तिः --- सहिष्णुता
क्षमता --- क्षमता
क्षमा --- forgivance
क्षमी --- क्षमाशील
क्षय --- नुकसान, कमजोर scarcity,
क्षयं --- विनाश
क्षयकृत् --- विध्वंसक
क्षयति --- (प्रपु एक), क्षय के लिए
क्षयात् --- (से) / consumption विनाश
क्षयाय --- विनाश के लिए
क्षर --- अंत करने के लिए प्रवण, ध्वंसशील
क्षरं --- अविश्वसनीय के लिए
क्षरः --- लगातार बदलते
क्षात्रं --- एक ksatriya की
क्षान्तिः --- सहिष्णुता
क्षामये --- माफी माँगने
क्षार --- नमकीन
क्षालयति --- (10 पीपी) धोने के लिए
क्षितिपाल --- (पु) पृथ्वी के रक्षक, राजा
क्षिप् --- (रूट) फेंक करने के लिए
क्षिपति --- (6 पीपी) फेंक करने के लिए
क्षिपामि --- मैं डाल
क्षिप्त :: उपेक्षित या विचलित, mental wreak. 
क्षिप्रं --- जल्दी
क्षी --- के लिए dimnish
क्षीर :: दुध-पय, क्षीरसार-मक्खन, द्रव या तरल पदार्थ, जल-पानी, पेड़ों का रस या दूध, निर्यास, खीर, सरल नामक वृक्ष का गोंद।
क्षीरधि :- समुद्र, क्षीर सागर, दूध का समुद्र।
क्षीरनिधि :- समुद्र; सागर।
क्षीरनिधिशायी :- भगवान् श्री हरी विष्णु।
क्षीर सागर :- पुराण वर्णित सात समुद्रों में से एक समुद्र, पुराणवर्णित  दूध से भरा हुआ समुद्र जिसमें भगवान् नारायण शेष शय्या पर सोते हैं, क्षीरनिधि।
आक्षीर :- वनस्पति का दूध; पेड़-पौधों के तनों या पत्तों से निकलने वाला सफ़ेद गाढ़ा द्रव्य।
नीरक्षीर :- पानी और दूध।
नीरक्षीर विवेक :- अच्छाई और बुराई में अंतर करने की क्षमता, सम्यक न्याय का विवेक।
क्षीणकल्मषाः --- जो सब पापों से रहित हैं
क्षीणे --- spent-up/weakened के राज्य
क्षीर --- दूध
क्षुद्र --- तुच्छ छोटे,
क्षुद्रं --- क्षुद्र
क्षुध् --- भूख
क्षुधा --- भूख
क्षुधार्त --- भूखा
क्षुध्यति --- (4 पीपी) भूख लगी हो
क्षुभ्यति --- (4 पीपी) कांप करने के लिए
क्षुर --- (पु) चाकू
क्षुरक्रिया --- (स्त्री) हजामत बनाने का काम, एक चाकू के साथ काटने
क्षुरपत्रम् --- ब्लेड (नपु)
क्षूद्र --- कमजोर (यहाँ)
क्षेत्र --- क्षेत्र
क्षेत्र :: शरीर क्षेत्र है;  entire body (field, Kshetr, creation). 
क्षेत्रज्ञ :: जो व्यक्ति शरीर का ज्ञाता है, उसे क्षेत्रज्ञ कहते हैं; One who is aware of his body and let it perform is Kshetragy. 
क्षेत्रज्ञं --- क्षेत्र का ज्ञाता
क्षेत्रज्ञः --- क्षेत्र का ज्ञाता
क्षेत्रज्ञयोः --- और क्षेत्र का ज्ञाता
क्षेत्री --- आत्मा
क्षेत्रेषु --- शारीरिक क्षेत्रों में
क्षेपणास्त्रः --- मिसाइल (पु)
क्षेपणी --- (स्त्री) रॉकेट
क्षेमं --- सुरक्षा
क्षेमतरं --- बेहतर
क्षोउति --- छींक
क्षोभं --- अशांति
क्षमता --- (स्त्री) योग्यता
क्षकिरणः --- (मीटर) एक्स - रे
क्षयरोग :: तपेदिक Tuberculosis.

क्षेत्राधिकारः --- (मीटर) के अधिकार क्षेत्र



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