Friday, June 24, 2016

CHOPPING THUMB अँगूठा काटना

CHOPPING THUMB
अँगूठा काटना
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
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ॐ गं गणपतये नम:।
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
निराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥[श्रीमद्भगवद्गीता 2.47]
यह एक मुहावरा है। 
(1). ताज़महल के निर्माण के संदर्भ में कहा जाता है कि शाहजहाँ ने कारीगरों के अँगूठे कटवा दिये। शाहजहाँ ने ताज़महल का निर्माण कराया ही नहीं था; तो अँगूठे कटवाता कहाँ से!? यहाँ यह अलंकरण की तरह इस्तेमाल हुआ है। 
(2). अँग्रेजों ने हस्त शिल्पियों के अँगूठे कटवा दिये। यह भी अलंकरण की तरह से ही प्रयोग किया गया है, तात्पर्य यह था कि अँग्रेजों की मिलों में बने सस्ते कपड़े के कारण जुलाहों द्वारा खड्डियों पर बनाये गये बहुमूल्य वस्त्र बिकने बंद हो गये और कारीगर, जुलाहे, बुनकर, रंगरेज, अटेरन भूखे मरने लगे। 
(3). गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य से उसके दायें हाथ का अँगूठा दक्षिणा में माँगा। एकलव्य उनका शिष्य था ही नहीं तो दक्षिणा कैसी और किसलिए?! महाभारत में जिक्र है कि एकलव्य ने युद्ध में भाग लिया था। ऐसे लोग भी होते हैं जो बायें हाथ का उपयोग करते हैं। उन्हें खब्बू कहा जाता है और वो भी खब्बू ही था। उसने युद्ध में बायें हाथ और अँगूठे का प्रयोग किया और वो अर्जुन का सामना करने की हिम्मत ही नहीं जूता पाया। जहाँ तक अर्जुन के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर होने का सवाल है, वे दिव्यास्त्रों से लैस थे और एकलव्य, भीष्म पितामह, कर्ण, आचार्य द्रोण के पास दिव्यास्त्रों का नितान्त अभाव था। सबसे बड़ी बात यह कि अर्जुन के पास पितामह भीष्म,आचार्य द्रोण, कृपाचार्य, माँ कुन्ती, माँ भगवती का आशीर्वाद था। उनके साथ भगवान् श्री कृष्ण स्वयं थे। 
    
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